विवाह के समय मिला स्त्री धन महिला की व्यक्तिगत संपत्ति

 केस - Pratibha Rani vs Suraj Kumar & Another,


(1985) 2 SCC 370


कोर्ट - सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह के समय महिला को दिए गए गहने, नकदी या उपहार उसके स्त्रीधन (Stridhan) कहलाते हैं, और यह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति होती है। पति या ससुराल पक्ष का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पति या उसके परिवार वाले स्त्रीधन वापस करने से मना करते हैं या उसका दुरुपयोग करते हैं, तो यह आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि महिला अपने स्त्रीधन की वापसी के लिए स्वतंत्र रूप से आपराधिक या सिविल कार्रवाई कर सकती है। यह फैसला महिलाओं के आर्थिक अधिकारों की कानूनी सुरक्षा को मजबूत करता है।


ऋतु हंस एडवोकेट 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विभोर गर्ग बनाम नेहा (2025): पति-पत्नी की गुप्त रिकॉर्डिंग अब तलाक केस में कोर्ट में मान्य सबूत

मुस्लिम महिलाओं का खुला (Khula) लेने का पूर्ण अधिकार: सुप्रीम कोर्ट और तेलंगाना हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025