विभोर गर्ग बनाम नेहा (2025): पति-पत्नी की गुप्त रिकॉर्डिंग अब तलाक केस में कोर्ट में मान्य सबूत

केस का परिचय

विभोर गर्ग और नेहा केस में सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल साक्ष्यों की वैधानिकता पर ऐतिहासिक निर्णय दिया। पति द्वारा की गई गुप्त कॉल रिकॉर्डिंग को तलाक केस में अदालत ने प्रमाणिक सबूत माना। दोनों पक्षों के बीच लंबे समय तक विवाद चला, कोर्ट ने पारिवारिक न्याय के लिए पारदर्शिता को प्राथमिकता दी.​

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि रिकॉर्डिंग सच्चाई को सामने लाती है, तो उसे सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। इससे झूठे आरोपों की जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता आती है, साथ ही सभी पक्षों के निजता अधिकार की रक्षा के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं.​

कानूनी महत्व

  • अब पति-पत्नी के बीच कॉल रिकॉर्डिंग तलाक, मेंटेनेंस, या क्रूरता के केस में मुख्य सबूत बन सकती है।

  • यह निर्णय भारतीय परिवार अदालतों में डिजिटल साक्ष्य की मान्यता के संबंध में नई दिशा प्रदर्शित करता है।

  • फैसले से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी है, लेकिन निजता अधिकारों की रक्षा को भी लगातार महत्व दिया गया है.​

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला परिवार कानूनों, न्यायिक प्रक्रिया और निजता व आधुनिक डिजिटल प्रमाणिकता के संतुलन की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है। अब तलाक या matrimonial dispute मामलों में टेक्नोलॉजी आधारित सबूत बड़ी भूमिका निभाएंगे और न्याय में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

 रितु हंस अधिवक्ता, बीए एलएल.बी., झाँसी विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश


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